तुझे छुप - छुप के चोरी से देखती ये निगाहें मेरी

ये एहसास तो तुझको भी होगा,

बसी है मेरे ह्रदय में चाहत जो तेरी खातिर

ये एहसास तो तुझको भो होगा,

चाहता तो हजारों दफा हु एक पल में

की करूँ तुझसे बयाँ हसरत धरकनो की अपनी अल्फाजों में

मगर मैं कर नहीं जिक्र तुझसे अपनी बेताबी का

मेरी इस बेबसी का एह्साह तो तुझको भी होगा,

कमजोर नहीं हूँ मैं - २

हाँ कुछ दायरों से बंधा हूँ इसीलिए शायद मजबूर हूँ मैं

है मेरे भीतर जो तूफान उठा

उसकी झंकार सुनता तू भी तो होगा,

तुझसे मेरा ये कैसा नाता है

सिसकियाँ तेरे सिने में उठती है और हुक मेरे ह्रदय में

भले तू बयाँ नहीं करती मुझसे जिक्र अपने एहसासों का

तेरी निगाहों से सुन लेता है मन मेरा दर्द का हर फ़साना तेरा

गुफ्तगू होती है जो तेरी निगाहों का दिल से मेरी

उन अनकहे बातों को सुनता तू भी तो होगा,

लिपट के तुझसे तेरा हर जख्म अपने स्नेह लेप से भर दूँ मगर

तुझे लगा नहीं सकता सिने से अपनी मेरी इस उलझन का एहसास तुझे तो होगा,

तेरे दर्द को चुनने की गुस्ताखी जो मैं कर गुजरा

उन रास्तों से दिल का दर्द आशियाँ में अपने ला मैं बैठा,

तू भीतर ही भीतर जब रोती है

रातों के सन्नाटों में तकिया मेरा गिला कर जाती हो

मेरे इन बहते आंसू का एहसास तुझे तो होगा,

मैं तुझसे घंटो बातें करता था तेरी हर बात बहूत ही गौर से सुनता था

मगर बदली हुई अब कहानी है वो दास्ताँ लगती जैसे अब पुरानी है

होती है रातों को खामोश अब जुबां मेरी

मेरी इस ख़ामोशी का एह्साह तुझे तो होगा,

हर रोज तेरे ही साथ मैं रहता हूँ - लेकिन अब मीलों की जैसे दुरी है

यकीं नहीं करता दिल मेरा मुझपर वो कहता है की तू मेरी है

कौन बताये उस नादाँ को खिंची थी इसने जो तस्वीर वो अब अधूरी है

हूँ अधुरा मगर ये अधूरापन भी जैसे भाता है

जलता हूँ हर रात जिस ठंडी आग्नि में

उस आग की गर्मी का एहसास तुझको भी होगा !!!

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