हर तरफ जलती ये दुनिया, हर तरफ एक शोर है
उगता है सूरज यहाँ, फिर भी अंधेरा घोर है
हर एक मन मे आस है, लगी ज़िंदगी की होड़ है
खून में लिपटी है काया, लाशों से भरा हर मोड़ है
हरी-भरी इस धरती पर, मिलता बस लाल रंग है
मैं खुश हूँ, मैं ज़िंदा हूँ, जीना भी जहाँ एक जंग है

कहीं खाने को तरसे लोग हैं, कहीं पानी के लिए भी क़त्ल है
सच्चाई की यह सामने कैसी घिनौनी शक़्ल है
ख़ुदग़रज़ी के रास्ते दिशाहीन हुई अक्ल है
धर्म भी बनता जा रहा, मौत का हम्शक़्ल है
बंद हैं आँखे फिर भी कांपता हर अंग है
मैं खुश हूँ मैं ज़िंदा हूँ
जीना भी जहाँ एक जंग है.

(इंसान)
सब देख रहा पर अँधा है, सब सुन रहा पर बेहरा है
खुद से ही बचने की खातिर, खुद पर लगाया पहरा है
जीवन-शतरंज की चाल में, वक़्त भी बस मोहरा है
जाने क्या सोच रहा है, जो इस पल पर आकर ठहरा है
हर चीज़ आड़े है मेरे, जीने की आस बस संग है
मैं खुश हूँ मैं ज़िंदा हूँ, जीना भी जहाँ एक जंग है.

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