तुमसे दिल भी न मेरा संभाला गया
क्योँ ना शौके वफ़ा तुमसे पाला गया
तुमने मुझसे जो यूँ फेर ली है नज़र
ये लगा ज़िँदगी से उजाला गया
ना गुनाहे मुहब्बत की माफ़ी मिली
ना ये सर ठोकरोँ मेँ उछाला गया
तिश्नगी ना हुई मुझसे ज़ाहिर कभी
यूँ मेरे सामने से भी प्याला गया
सीख लीजै के ये भी हुनर एक है
ग़म को कैसे तब्बसुम मेँ ढाला गया
क्यूँ बिलखते हो अब पीटते हो ये सर
जिसको जाना था वो जाने वाला गया

-शिव

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