"गजब की शाम थी वो,
सागर किनारे, ढलता दिन,
कितने ही ख्याल थे दिल में,
लिखा सभी को रेतो पर मैने,
अभी पूरा लिख जो मैं पाता,
लहरो ने तबाह लिखवाट कर दी,
अब अपना लिखा याद भी नहीं,
और अफशोस भी नहीं, क्युकी
फिर दिन ढलेगे सागर किनारे "

Tags: LIFE

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