कविता तुम आसान रहो
जलती हुई रूह, बुझती हुई आस
को देने सहारे के लिये
तुम आसान रहो

बाटती दुखो को रहो
तुम मेरे पास रहो

अगर होना तुम्हारा है मुश्किल
तो तुम्हारा होना, होना क्या है
पास रह कर भी हो समझ में नहीं
फिर दफ्न हो जाओ भी तो परवाह क्या है

आसान ही रहो की मुश्किल बड़ी आई
थके हौसले, दबी आवाज़, बिखर इंसान
रह आस की ताक रहे है

बनो आसान की अब
जज्बा जगाओ,
साहस बढाओ,
इनसब के साथ रहो
कविता तुम आसान रहो

Tags: Writing, Poetry

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