एक हरकत थी,
जहन में उबाल आया
भागते रहे
ढूंढते रहे तेरे अक्स को
पर हासिल क्या
हर सहरा में झील नहीं होती,

बेचारे हिरन मन को
लालच तो बहुत आया
मगर रुके नहीं चलते गए
लोग कहते है
यायावरों की किस्मत में
दर, दिवार, मंजिल नहीं होती

एक कविता सा था
तेरा होना
अब जब ताप धीमा पड़ा है
तो दोष न देना
दोस्त !!

हर नज्म की उम्र, ताउम्र नहीं होती . amit

Tags: Poetry

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