चलो एक रात पूरी बरसात हो
तुम बेशक सिर्फ तुम

यादों के किनारे सपनो की किश्ती तैरती रहे
ख्याल तुम्हारे हों , लब्ज से बयां मैं करू
पलों को एक आयत में समेटकर
कभी पलकों को उठाकर और कभी झुकाकर
तुम बस सिर्फ तुम

चलो एक रात पूरी बरसात हो
तुम बेशक सिर्फ तुम
- धैर्यकांत

Tags: Ishq

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