Jab Tak Hain Jaan recreated, this is my humble tribute to the legendary Yash Chopra Sir. Rest in Peace Sir, you'll be missed.

तेरी अदाओं की शोख बिजलियाँ
तेरी आखों की पाक मासूमियाँ
तेरे साये की महकती परछइयां
नहीं भूलूंगा मैं
जब तक है जान, जब तक हैं जान

तेरा मुस्कुराके दिल तोडना
तेरा जज्बातों के तार छेड़ना
तेरा बातें बोलकर भी ना बोलना
नहीं माफ़ करूँगा मैं
जब तक हैं जान, जब तक हैं जान

सर्दियों में मखमली धूप के जैसी
तेरी धीमी आहटों से
आसमां में तितलियों संग उड़ने की चाहतों से
मोहब्बत करूँगा मैं
जब तक हैं जान, जब तक हैं जान

तेरे उलझन भरे सवालों से
तेरे अधूरे वादों के मलालों से
तेरे साथ ना होने के ख्यालों से
नफरत करूँगा मैं
जब तक हैं जान, जब तक हैं जान

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