आपके दिल मेँ रहूँ अब
. . . . . ऐसी हसरत भी नहीँ
दरमियाँ बस फ़ासले हैँ
. . . . . कोई क़ुरबत भी नहीँ

साथ रक्खो तो ईनायत
. . . . . छोड दो तो भी सनम
सच तो ये है अब तुम्हेँ
. . . . . मेरी ज़रूरत भी नहीँ

अब कोई रिश्ता नहीँ है
. . . . . इक यही रिश्ता है बस
हाँ मुहब्बत भी नहीँ है
. . . . . . और नफ़रत भी नहीँ

दूरीयोँ को दूर करने मेँ
. . . . . . .न जाने क्या हुआ
अब नज़र के आईने मेँ
. . . . . कोई सूरत भी नहीँ

जो मेरे अहसास से
. . . . . पैदा हुआ था खो गया
ना रहा वो प्यार का मंदिर
. . . . . . . . वो मूरत भी नहीँ

- शिव

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