एक प्यारी सी बगिया में
फूलों का हसना-मुस्कुराना
याद आता है मन को
और उन पर भौरों का गुनगुनाना
याद आता है मन को

याद करता है मन वो
शीतल समीर के छुवन को
वो सुहावन सांझ सवेरा
याद आता है मेरे मन को

वो पंछियों के मधुर स्वर
याद आते हैं मन को
वो चहकना हर वृक्ष हर दाल पर
और फिर उड़ जाना दूर गगन को

वो बचपन की ढेरो यादें
याद आते हैं मेरे मन को
वो प्रकृति के अति सुन्दर रूप
वो मौसम बदलना,छाव और कड़कती धुप
याद आते हैं मेरे मन को

वो बारिश के मनमोहक फुहारे
याद आते हैं मेरे मन को
वो रात की चांदनी और ढेरो सितारे
याद आते हैं मेरे मन को
वो सर्दी की शीतलता और पवन के झोंके
और सुबह की ओस की बूदें
याद आते हैं मेरे मन को
वो बसंत में बहार का आना
फूलो का हसना और खिलखिलाना
याद आता है मन को
इस प्रकृति के आगे शीश मेरा
खुद ही झुक जाता है नमन को

Tags: Beauty, Nature

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