… तुझसे मेरा ठहरना तुझसे ही रवानी है
….......... क़िरदार में हूँ मौला और तू कहानी है

… भूलूँ के याद रक्खूँ अब फ़र्क क्या है मौला
…....…..दिल से नहीं निकलती दिल में जो निशानी है

… औरों की फ़िक्र ना हो खोये हों बस खुदी में
..........…. किस काम का वो जीवन कैसी वो जवानी है

… दुनिया की हक़ीक़त बस इतनी समझ में आयी
..........…. कुछ वादे तोड़ने हैं कुछ क़समें उठानी हैं

… दुनिया के इल्म से बस दुनिया ही मिली मुझको
…………..तेरे इल्म की शमा अब सीने में जलानी है

- शिव , १७-०७-२०१५

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