आँसू बहाऊँ बताऊँ किसे ?

इतनी गहराई मेरे दिल में है
इस गहराई को दिखाऊँ किसे ?
सायद मेरे आँसू पसंद है उसे
इसलिए कहीं ज्यादा रुलाती मुझे

कभी हँसाकर कभी रुलाकर
दिल को घायल कर जाती है
दिल को मनाना मुश्किल होता है
वो बाते ऐसा कर जाती है

दिल के जजबातों को बताऊँ किसे ?
दिल की धड़कनों को सुनाऊँ किसे ?
आँसू बहाऊँ बताऊँ किसे ?
बताऊँ किसे प्रिये बताऊँ किसे .....................?

- रविकान्त गुप्ता

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