दादरी ने कल रात मुज़्ज़फ़्फ़रनगर को फ़ोन करके ये बताया की गोधरा और बॉम्बे वाले दंगो की प्रायोजित री-यूनियन में आने से मना कर दिया है |

उनको इस बात का विरोध है की १९८४ सिख दंगे को इस री - यूनियन में क्यों आमंत्रित किया जा रहा है , क्यूंकि वो तो सही मायनो में दंगे की श्रेणी में आते भी नहीं है | आप मारो फिर वो मारे , तब वो दंगा कहा जा सकता है , लेकिन १९८४ वाले में तो दंगो के लिए बने मूलभूत नियमों को तो फॉलो ही नहीं किया गया | कुछ ऐसा ही कश्मीर वाले कश्मीरी पंडित वाले में हुआ |

दादरी इस बात से नाराज़ है की उनके री- यूनियन में अगर ज्यादा से ज्यादा दंगो की सहभागिता नहीं हुई तो बात बन नहीं पायेगी, इसलिए आयोजक होने की कारण उसने निर्णय लिया है वो इस बार भागलपुर, और हाशिमपुरा वालों को विशेष न्योता भेजेगा |

आज दादरी ,गोधरा ,हाशिमपुरा और भागलपुर वाले मिलने वाले थे , जगह नहीं बताऊंगा डरता हूँ कही संगीत सोम न आ जाये |
दादरी का घाव नया है , गोधरा तो कभी मरेगा ही नहीं और हाशिमपुरा तो न्यायलय के फैसले की बाद ही मर गया था और जहाँ तक भागलपुर वाले की बात है , वो क्यों हुआ आज तक भागलपुर को पता नहीं चला |

गोधरा - काश हमारी किस्मत भी दादरी वाली होती , अखलाक़ को ४५ लाख मिले है ?हमको तो आज तक कुछ नहीं मिला , माफ़ी भी नहीं |

दादरी - तुम्हारे यहाँ लोग ज्यादा मरे थे , हमारे यहाँ एक था ,तो उनके बजट के हिसाब से जो सही था उतना ही दिया गया , तुमको नहीं पता क्या की यूपी के दंगो का बजट गुजरात से ३४% ज्यादा है ?
गोधरा - अच्छा !! हाँ तुम्हारे यहाँ मुस्लिम्स ज्यादा है , इसलिए
दादरी - नहीं !! हमारे यहाँ चूतिये ज्यादा है|
गोधरा - अखलाक़ को मार कर क्या मिला दादरी को ?
दादरी - दंगो में लोग खोते है चीज़ें , कुछ मिलता नहीं है
गोधरा - संगीत सोम और ये आज़म खान को तो मिला है ?
दादरी - मैं इंसानो की बात कर रहा था|
हाशिमपुरा - हमसे भी कोई पूछ लो , माना की हमने प्रधानमन्त्री नहीं दिया देश को लेकिन खोया तो हमने भी है बोहुत कुछ है |
भागलपुर - हमें तो पता ही नहीं की हम हुए क्यों थे , दो मजहब लड़े , आग लगी , राजनीति की पेट्रोल से आग लगायी गयी और आज भी उसका अंजाम हम भुगत रहे है

दादरी - वो देखो , १९८४ वाला सर झुकाये हुए घूम रहा है , बेचारा
गोधरा - तुमको पता है दादरी , हमको जब मन ये सरकारें जला देती है वोट के लिए और हम भी इतने बेवकूफ , खुद भी जलते है और अपने भाइयों को भी जलाते है , हर बार हम कैसे बेवकूफ बन जाते है , क्या हम भी राहुल गांधी जैसे बनते जा रहे है ?

दादरी - हम तो न्यूज़ में आ भी जाते हैं , कश्मीर तो न्यूज़ में भी नहीं आता , वहां तो रोज लोग जल रहे हैं , TRP कम है इसलिए कोई दिखता भी नहीं इसको

गोधरा - अगला दंगा जब हो , एक बात कहूँ , इस बार हम किसी को नहीं मारेंगे , उसको मारेंगे जो हमको भड़काएगा

दादरी - इतना आसान नहीं है , दंगो से लोग वजीर बन रहे है इस मुल्क में , कोशिश करो लेकिन तुम

गोधरा - कोशिश ....हां हाहा....वही तो कर रहे है १३ सालों से

हाशिमपुरा - बहस छोड़ते है , अगली बार दंगे हुए न तो हम खुद चले जायेंगे इन राजनेताओं के घर पर, दुसरे काटे , इससे अच्छा है की वही काट दे ...ठीक है

गोधरा -चलो अब पंचायत खत्म करते है , मीडिया की बू आ रही है , पता नहीं क्या छाप दे

Tags: Short Story

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