जी तोड़ मेहनत कर किसान फसल उगाता है,
पर ए कैसी बिडम्बना है की वो भूखो रह जाता है|

अपने खून को वह पसीना बनाता है,
पर उसके बच्चे भूख से बिलबिलता है|

सूद के पैसे से करते हैं खेती,
फसल के पैसे से महाजन से मुक्त होते है|

फिर सालो भर मजदूरी कर के खाते हैं,
मौका पडने पर बच्चो से भी मजदूरी करवाते है|

एक तरफ कोई मेवे मिस्री खाते हैं,
पर इनकी मेहनत का सही मुआवजा देने से कतराते है|

देश के शासको को इसकी चिंता तो है नही,
वो सिर्फ वोट के लिये मरमरी करते है|

आह्ह ! हे भगवान, आप कब इन किसानो पर डालोगे अपनी नज़र,
बस तेरे ही आस मे तो ये जिये जाते है|

अमित सिंह

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