एक थी लौकी छोटी सी प्यारी सी हरी हरी, जब से पैदा हुई खेत में अपने चारों तरफ एक जैसे चेहरे और बनावट ही दिखते और इसके सिवा दिखता तो सिर्फ मिटटी और गोबर। लेकिन इन सबके बाद भी खुश थी अपने जीवन से, कोई चिंता नहीं थी। अपने जैसी और छोटी लौकियों के साथ खेलना या अपनी माँ लता (लौकी की लता) के साये में सो जाना।

आस पास की कुछ बुजुर्ग लौकियों से उसने सब्जी मंडी के किस्से सुन रखे थे। उन्होंने बताया की कैसे वहाँ अलग अलग तरह के रंग रूप और खुशबू के फल और सब्जी देखने को मिलते थे, उसका भी मन होने लगा वहाँ जाकर उस नयी दुनिया देखने का मगर बुजुर्गों ने ये भी बताया था कि वहाँ कभी भी कोई इंसान आकर हमें खरीद सकता है और हमें अपने लोगों से अलग होना पड़ता है। कभी कभी इंसान हमें खरीदते तो नहीं लेकिन जगह जगह नाख़ून चुभा देते हैं जिससे हम घायल और बदरंग हो जाते हैं। उसने अपने आस पास बहुत से बुजुर्गों के शरीर पर ऐसे घाव देखे थे।

आखिरकार वो दिन आ ही गया जब वो छोटी लौकी बाकी बड़ी लौकियों के साथ बाँध दी गयी सब्जी मंडी जाने के लिए। रस्ते भर वो अपनी माँ और बाकी सभी की बतायी बातें याद करते हुए जा रही थी, जैसे की बड़ी लौकी से पीछे चलना और रहना है , इधर उधर दूसरी सब्जियों की ओर नहीं देखना है , कोई नाख़ून चुभा दे तो रोना नहीं है। डर तो लग था लेकिन एक अजीब सा रोमांच भी था , नयी जगह , नए लोगों को देखने का।

एक घंटे के उठा पटक वाले ट्रेक्टर के सफर के बाद वो सब्जी मंडी पहुंच गयी। वहाँ का नज़ारा देख कर उसकी आँखे चमक उठीं। चारों ओर रंग बिरंगी सब्जियां , बहुत सारे इंसान , तरह तरह की गाड़ियां। वो हर चीज़ को ध्यान से देखती हुई चल रही थी जैसे कि सारे नज़ारे को अपनी आँखों में कैद कर लेना चाहती हो। थोड़ी दूर पर टमाटरों का एक ढेर सा लगा हुआ था , सबसे ऊपर बैठे एक टमाटर से आँखें मिली तो वो टमाटर मुस्कुरा दिया। लौकी को थोड़ा अजीब लगा और उसने अपनी आँखें दूसरी ओर घुमा ली।

आगे जाते हुए लौकी को एक और सब्जी दिखी जिसका रंग रूप तो बहुत ही साधारण सा था मगर उसमे एक अनोखा आकर्षण था। ये कोई और नहीं बल्कि सबका चहेता आलू था। लौकी उसे लगातार देख रही थी पर आलू ने उसकी और जरा भी ध्यान नहीं दिया। लौकी को आश्चर्य हो रहा था कि जहां बाकी सब उसे ही देख रहे थे ये बेढंगा आलू उसकी ओर ध्यान ही नहीं दे रहा था। अब लौकी का ध्यान पूरी तरह आलू पर केंद्रित हो गया। वो इन्तजार कर रही थी कि एक बार आलू उसकी ओर देखे तो वो उससे बात करने की कोशिश करे।

बहुत इन्तजार के बाद भी आलू का ध्यान लौकी की ओर नहीं गया , वो तो अपनी धुन में ही मगन था। कोई भी उसे बाकी सब्जियों तरह उलट पलट कर नहीं देख रहा था बल्कि जो आता बस थैले में भर कर ले जाता। बीतते समय के साथ लौकी आलू से मिलने के लिए और भी बेचैन हो उठी, उसे समझ नहीं रहा था कि क्या करे। फिर हिम्मत करके उसने अपने से थोड़ी बड़ी एक लौकी को अपनी समस्या बतायी। बड़ी लौकी ने किसी भी तरह की मदद में असमर्थता जताई, मगर साथ ही ये भी बताया की एक ही है जो शायद उसकी मदद कर सके और वो है टमाटर। लेकिन उसने आगाह भी किया कि अगर किसी बड़े को पता चला तो वो बहुत नाराज़ होंगे इसलिए जो करना है सोच समझ कर करे। लौकी ने हामी में सर तो हिल दिया मगर मन ही मन निश्चय किया कि वो एक बार कोशिश जरूर करेगी।

छोटी लौकी ने हिम्मत जुटाई और टमाटर के पास जा पहुंची। उसने टमाटर अपना परिचय दिया और उसे अपनी समस्या बताई। टमाटर ने बहुत ही अच्छे तरीके से उससे बात करी, उसे अपना परिचय और सब्जी मंडी के बारे में सारी बातें बताई। टमाटर से बात करते हुए लौकी को समझ में आया की टमाटर वैसा नहीं था जैसा दिखता था । वो बहुत ही मिलनसार ,सभ्य ,समझदार और हंसमुख था। खैर टमाटर ने उसे मदद का आश्वासन दिया और अपने दोस्त हरी मिर्च से मिलवाया। दोनों ने उसे थोड़ी देर बाद आने को बोला। लौकी वापस आ गयी और फिर दो घण्टे के बाद दोबारा पहुंची। टमाटर और मिर्च ने उसे बताया की उसका काम कुछ हद तक बन गया है। वो उसे लेकर आलू के ढेर के पास पहुंचे। तभी एक थोड़ा साफ़ सा दिखने वाला एक प्यारा सा आलू आगे आया और लौकी की ओर देख कर बोला , "मुझे इन लोगों ने बताया की आप मुझसे मिलना चाहती हैं और दोस्ती करना चाहती हैं मगर मुझे ये नहीं समझ आ रहा आप इतनी सुन्दर हैं आप से तो कोई भी रंग बिरंगी सुन्दर सब्जी दोस्ती कर लेगी फिर आप मेरे जैसे साधारण रंग रूप वाले से दोस्ती क्यों करना चाहती हैं ?"

लौकी ने गौर से आलू की और देखा फिर थोड़ा सोचने के बाद मुस्कुरा कर बोली , "आलू जी आप ने बात तो बिलकुल सही कही कि कोई भी सब्जी मुझसे दोस्ती कर सकती है लेकिन दोस्ती किससे करनी है वो तो मेरी इच्छा और उस इंसान पर निर्भर है कि दोस्ती करूँ या नहीं । पहली बात दोस्ती मैं शक्ल सूरत का ज्यादा महत्त्व नहीं होता इसलिए आपका साधारण रंग रूप इसमें अड़चन नहीं है। दूसरी बात जब से मैं इस सब्जी मंडी में आयी मैं देख रही हूँ की सभी अपने को सुन्दर दिखाने में लगे हैं जबकि आप चुपचाप अपने आप में व्यस्त हैं आपको मतलब नहीं की कौन कैसा है। आपका रवैया साबित करता है की आपमें आत्मविश्वास है जो मुझे बहुत अच्छा लगा। आपके इस आत्मविश्वास की वजह से ही शायद कोई इंसान आपको बाकि सब्जियों की तरह उलट पलट कर , दबा कर , नाख़ून चुभा कर नहीं देखता बस उठाया और थैले में रख लिया इसका मतलब आप विश्वास के काबिल भी हो। आपसे बात करके पता चलता है की आप सभ्य और दूसरों को इज़्ज़त देने वाले हो। फिर मैं जिन दो लोगों से मिली आपके बारे में उन्होंने भी अच्छा ही बोला । तो इस तरह आपमें वो सारे गुण हैं जो एक सबसे अच्छा दोस्त होने के लिए बहुत हैं। "

आलू को लौकी की बातें बहुत अच्छी लगी उसने दोस्ती स्वीकार कर ली। दोनों ने आपने अपने परिवार को बताया और अपने तर्क देकर उन्हें राज़ी कर लिया।
फिर आलू लौकी की शादी हो गयी, टमाटर और मिर्च ने दोनों का हमेशा साथ देने का वादा किया।

तो इस तरह बनी लौकी आलू की जोड़ी और एक बेहतरीन सब्जी जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद भी है।

Tags: Fiction

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