फेसबुक खोला, चैट बॉक्स में गया तो पता चला की मेरा प्यारा मिसू बीमार हो गया है |
एकाएक ये खबर पढ़ते ही मन व्यथित हो गया | न हमारा कोई नाता था न कोई रिश्ता लेकिन संगठन वाले के लिए दिल और भावना का जुड़ाव ही सब कुछ है, तो दिल के किसी कोने में दबा हुआ मिसू से न मिल पाने का ऐहसास फिर से दिमाग में आ कर कचोटने लगा | अभी तो हमारे यूनियन के इस छोटे से मेम्बर ने संसार में कदम रखा था और सांसारिक कष्टों का सामना करने को सीना ठोक तैयार हो गया |

मिसू और संगठन दोनों हमारे संघर्ष के साथी बन गए हैं | आदम काल से चला आ रहा शोषण के यथार्थ को मिटाना और मानवता को इससे मुक्ति दिलाने के हमारे संघर्ष में मिसू का आना बहुत ही उत्प्रेरक रहा है | आन्दोलन की गहराइयों को मापने के थका देने वाली यथार्थवादी सच्चाई को हम मिसू के साथ ही तो नापने की कल्पना कर रहें हैं परन्तु मानव इतिहास की कटु सचाई और तबियत का ख़राब होना फिर से हमें लम्बे संघर्ष की प्रेरणा देती नजर आती है | और आज 103 डिग्री के बुखार से तपता मिसू के बारे में पढ़ते ही अपनी सारी व्यथा को भूल गया हूँ |

चीनी मिल खुलवाने के आन्दोलन में तपती गर्मी में जब हम सब लोग सड़क पर उतरने से घबराएंगे तो हम 10 दिन के अपने मिसू के संघर्ष की कहानी को अपने साथियों के लिए प्रेरणा का श्रोत बनायेंगे | मिसू हमारी प्रेरणा का संवल होगा और जब जुल्म जोड़ की टक्कर में हम पीले क्रांतिकारीयों की टोली लाठी गोली से टकरायेगी तो हमारे लिए 10 दिन के मिसू का 103 डिग्री के बुखार से लड़ना एक प्रतीकात्मक जीत रहेगा | हम जीतेंगे साथी और मिसू को बताएँगे की तुम्हारे धरती पर कदम रखते ही तुम्हारी संघर्ष हमारी जीत के लिए प्रेरणा बन कर उभड़ी |

नोट :- हमारे संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन के रणधीर भाई के बालक ने संगठन के पहले स्थापना दिवस पर इस दुनिया में कदम रखा और उसका प्यार से निकनेम “ मिसू “ रखा है |

Tags: Fiction

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