inverter के कारण बचपन के वो सुहाने पल सिर्फ यादे बन कर रह गए. वो घंटो light जाने के बाद उसके वापस आने पर हर घर से बस एक ही आवाज़ आती थी “आ गयी”!
light जाने के बाद सभी लोगो का घर से बाहर आ कर ऐसे बात करना जैसे किसी MNC की board-of-director की meeting चल रही हो!
महिलाओ का उस सीरियल के बारे मे बात करना जो निकल रहा है या उसका जो अभी-अभी देखा था!
पुरुषो का या तो राजनीती की चर्चा करना या फिर बिजली-विभाग को कोसना मुख्य उद्देश्य होते थे, ये वो समय की बाते है जब property-dealing एक विशेष वर्ग का ही काम था, आज की तरह नहीं.
बच्चो की तो जैसे कोई दुआ काबुल हो जाती थी, अब उन्हें बिना किसी रोक-टोक के जी भर के खेलने की आज़ादी मेल जाती, माँ-बाप भी खुश के बच्चा उनकी आँखों के आगे ही है!
बच्चो का भी बिना किसी gadget के, बिना किसी विशेष-वस्तु की मदद के कोई नया ही खेल इज़ाद कर लेना आम बात थी! सब कुछ सही चलता था जब तक की light वापस नहीं आ जाती थी, उसके वापस आते ही एक chain-reaction होता था और एक ही आवाज़ गूंजती थी “आ गयी”!
जैसे की बड़ी से बड़ी meeting एक lunch-break होते ही तितर-बितर हो जाती थी अपने मोहल्ले की वो खास board-of-director की meeting अनिश्चित समय के लिए बर्खास्त हो जाती थी!
अब कहाँ वो light के जाने से एक get-together का आयोजन होना, पड़ोसियों का एक दुसरे के सुख-दुःख को बांटना, बच्चो का साथ मे खेलना और उस बुलंद आवाज़ का सुनाई देना :
“आ गयी”

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