यादों की तरह तस्वीरों को भी समय के साथ धुंधला पड़ जाना चाहिए | उसके साथ बिताये लम्हों की यादें मैंने गलती से अपने फ़ोन में समेट ली थी , उसकी तस्वीर मेरे फ़ोन में थी और मेरी शायद उसके फ़ोन में होनी चाहिए , शादी होने वाली है तो शायद उसने डिलीट कर दिया होगा | मगर मेरा क्या ? मेरी तो शादी नहीं , तो इसका मतलब क्या ? तस्वीरों को मैं भी डिलीट कर दूँ ? कोशिश कई दफा मैंने की थी , पर न तो दिल ने अप्रूव किया और न उँगलियों ने |
सोंचता हूँ कभी तस्वीरों को फ़ोन मेमोरी में ट्रांसफर करके एक बार रिस्टोर कर दूँ , मगर कमबख्त मोबाइल ऍप्स ने फ़ोन मेमोरी का एक कोना भी नहीं छोड़ा है |
कई बार सोंचता हूँ के वायरस के प्रकोप से मेमोरी कार्ड खुद ही करप्ट हो जाये , लेकिन नयी सरकार के डर से अब ये भी करप्ट होने से डर रही है | इस उहा अपोह में की कैसे तस्वीरों को बिना डिलीट किये अपने से दूर करूँ , मेरे फ़ाज़िल दोस्त ने मुझे नया फोन लेने की सलाह दे डाली , अगर सलाह की तरह फ़ोन भी मुफ्त में मिलता तो कोई बात ही नहीं थी |
बातें बनती गयी , रातें बीतती गयी और आज २६अप्रैल भी आ गया | उसकी शादी है, ये सोंच कर थोड़ा सहम जाता हूँ की उस दिन “हाँ” कर दी होती तो आज उँगलियों में मेरे सिन्दूर होता |
फिर भी ये नहीं कहूँगा की मुझे पश्चाताप नहीं है, वो तो है और जीवन पर्यन्त तक रहेगा , लेकिन उससे ये पूछने की हिम्मत तो जरूर करूँगा की उस रात जिस बात पे तुम नाराज हो गयी थी , क्या वो नाराजगी अभी भी है ?

शायद तुम्हारा-नीतेश

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