भुसावल से पाटलिपुत्र के लिए ट्रेन न.12141 से सुबह 6:20 में कूच किये थे।बात कुछ 15 दिनों पहले की है। घर जाने की तैयारी थी छुटियों में,छुटियाँ तो पहले ही मिल गयी थी पर कुछ दिन एक्स्ट्रा रूक गया था,कुछ दिन दोस्तों के साथ, कुछ दिन अपने मन से सब जबर्दस्ती ही, आप जबर्दस्ती इसलिये समझिये की खाने पिने की थोड़ी दिक्कतें आ गयी थी,मेस की बंदी और खुद से बनाने की झंझट वो भी एक ही टाइम सिर्फ रात में चावल-दाल-आलू चोखा,पनीर चावल,राजमा-चावल,हाँ रोटी सिर्फ एक ही रात नसीब हुयी थी।
टिकट कन्फर्म=नो टेंशन। हाँ लगेज थोड़ा ज्यादा था,दो बैग कपडों के,1 लैपटॉप का,एक जूते-चप्पलों का थैला और 1 कार्टून आध्यात्मिक किताबें। अफ़सोस की 1 डब्बा प्रोटीन का जल्दबाजी में स्टेशन पे ही छुट गया, उन्फोरच्युनेटली। खैर किसी तरह आ गया अपने बर्थ पर, आने के बाद पता चला की कोई जनाब पहले से ही सो के आ रहे थे, सो चादर-तकिया-टॉवेल बदला ना गया था,खुद जाकर दूसरे डब्बे वाले अटेंडेंट से लाना पड़ा, अब इसे लापरवाही रेलवे की कहें या अटेंडेंट की,जो भी हो दिक्कतें तो मुझे ही आई।चलिये कोई बात नहीं। ट्रेन निकल पड़ी, सफ़र में आप अकेले भी हों तो साथ वाले यात्री जनों से बोल-चाल बढ़ ही जाती है। मैं साइड लोअर पे था,ऊपर कोई 55-60 वर्ष के अंकल थे और वो भी फिलहाल निचे मेरे ही सीट पे बैठ बातें कर रहे थे,रास्ता बिता जा रहा था,उनके रिकवेस्ट के कारन मैं ही ऊपर वाले बर्थ पे चला गया,साथ वाली सभी 6 सीटों पे अलग अलग यात्री जन थे, 2 सीटें पर कोई 70-80 साल के बुजुर्ग बाबा-अम्मा जी थे,2 सीटें पर रेलवे के ड्राईवर साहब अपने बेटे के साथ छुटियों में घर जा रहे थे, 1 पे अँधेरी वाले मुस्लिम भाई जान पेशे से आर्किटेक्चर थे, लास्ट वाले पे और कोई एक जान था जिससे मेरी कोई विशेष पहचान नहीं हो पायी।आप सोच रहे होंगें इत्ती जान-पहचान क्यों?आगे पढ़िए सब दिमाग में घुस जायेगा जी। ट्रेन छुक छुक चल रही थी तभी सुबह के 11 बजे @irctc के ट्रेन के ही पैंट्री कार का एक वेंडर आया कोल्डड्रिंक और पानी बेचने।(किस्से में ट्विस्ट यहीं से आयेगा पकड़के के चलियेगा, समझे)
15 का पानी 20 में,35 का कोल्डड्रिंक्स 40 से 45 में,डिपेंड अपॉन ब्रांड।वही बुजुर्ग बाबा जी खरीद रहे थे, उन्होंने एक्स्ट्रा रेट का विरोध भी किया तो जवाब आया मैनेजर का आर्डर है जो करना है कर लीजिये।(मनमानी बद्तमीजी)
मैं चुपचाप अपने बर्थ से नजारा गौर कर रहा था, दिमाग दौड़ा सोचा की यह तो बहुत गलत व्यवहार है, सरासर गुंडागर्दी है। तभी मेरा सिक्स्थ सेंस बड़बड़ाया दिमाग को बोला की ट्विटरबाजी कर, किया भी, सुरेश प्रभु, रेल मिनिस्ट्री इंडिया,irctc को ट्वीट किया, सभी जगह पोसिटिव रिप्लाई भी आया, खुश हुआ। अब आप तो जानते हैं सफ़र में नेटवर्क कितना तंग करता है सो अपने मित्र मंडली के मुकेश से भी ट्वीट करवाया ताकि मंत्रालय को संपर्क करने में कोई परेशानी न हो।
ट्वीट का रिप्लाई तुरंत आया,इंटरनेट का जमाना यूँ ही नहीं कहा गया है भाया।
कुछ क्विक एक्शन लिया गया होगा जरूर क्योंकि TTE के साथ अपने को पैंट्रीकार का मैनेजर बताने वाला एक युवक आया जो मुझसे करीब 2घंटे बहस किया होगा वो भी काफी ख़राब व्यवहार के साथ। मैंने बस उससे IRCTC कंप्लेन बुक, फीडबैक बुक, ID कार्ड माँगा की इस से बात कुछ बन जायेगी जो वो देने में असमर्थ रहा। वो माने तब ना! कुल मिला कर गलती उसने की थी। उस 2घंटे के बहस में उसने कोम्प्रोमाईज़ और मैनेज तक कर लेने का सलाह देने लगा।TTE भी सायद मेलजोल करने में ही लगा था। वीडियो बता रही है।
एक बार फिर से ट्विटरबाजी हुयी, DRM जबलपुर ने कॉन्टेक्ट किया और दूसरे TTE को इंडियन रेलवे का कंप्लेंट बुक लेके भेजा गया,आई विटनेस साथ वाले यात्री बने। लेकिन अभी तक मुझे IRCTC का कंप्लेन बुक नहीं मिला। फिर से ट्विटर बाजी हुयी। तब तक रत के 8 बज चुके थे, रात का खाना भी मुझे नहीं मिला पैंट्री कार से तो झगड़ा ही था,खाता कहाँ? इसी बिच एक और गलती देखिये IRCTC की वही साथ वाले ड्राईवर साहब वेज बिरयानी मंगाए मिला उन्हें अंडा बिरयानी सब स्तब्ध रह गए।हद है भाई IRCTC की पूरी गुंडागर्दी। निक्कमी IRCTC.
अब जरा आँखें फाड़ लीजिये अऊर दिमाग खोल लीजिये, रात के 10 बजे वही पैंट्री कार का मैनेजर आया सोये हुए में मुझे जगाया और दिया मुझे धमकी "तू भी पाटलिपुत्र उतरेगा और मैं भी दिखाता हूँ तुझे वहां मेरे गुंडे तैयार है वहाँ, मैं भी गुंडा हूँ बताऊंगा तुझे अकेले में सुबह सबेरे"। अब शुरू हुयी उसकी असली दादागिरी-गुंडागर्दी। मैं तो सकपका गया ,सच कहूँ तो थोड़ेे टाइम के लिए तो मेरी फटी भी। हिम्मत बाँधा,साथ वाले भी हिम्मत दिए कहा डरिये मत हम आपके साथ हैं, सभी जग रहे थे मेरे साथ। फिर से एक बार दिमाग नाचा और फ़ोन लगाया RPF कण्ट्रोल रूम, रनिंग रेल प्रोटेक्शन हेल्पलाइन, अपने चिर परिचितों, पोलटिकल सख्सियत, अपने घर, मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्यों को, सबको खबर दे दिया। सभी जगह से पॉजिटिव रेसपोंस मिला।अपने आप को धैर्य मिला। ट्रेन अब मुगलशराय पहुँचने वाली थी, मुगलशराय में RPF की टीम आई, सकुशल 5 घंटों में पाटलिपुत्र। RPF टीम के कोपरेट करने के लिए मैंने बेटर फीडबैक भी दिया। RPF वालों ने मेरे द्वारा एक FIR दर्ज करवाया पैंट्री कार मेनेजर के खिलाफ पाटलिपुत्र GRP स्टेशन में, वो गिरफ्तार भी हुआ,लाइसेंस रद्द हुआ,और भी कई लीगल एक्शन लिए गए उसके खिलाफ। मिथिला स्टूडेंट यूनियन के पटना प्रभारी नीरज शेखर जी और मेरे बड़े भाई अनिकेत भाई जी मुझे रिसीव करने के लिये और कोई भी अनहोनी से निपटने को तैयार थे।
इसु घटना का वीडियो, इंडियन रेलवे का कंप्लेन कॉपी जीआरपी FIR कॉपी,ट्विटर स्क्रीन शॉट, फोटोज सब मेरे वेबसाइट पर सेव है।
~अक्सर जिंदगी में कुछ बातें यूँ ही घटित हो जाती है,जिनका यूँ ही घट जाना आपको अचंभित करता है और कई सीख भी दे जाता है।

Tags: Travelogue

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