गाम गेल रही चौकरही पर बैसल रही ,,,गप्प सप्प् चली रहल छल सब कियो एक दोसर पर तंज कसी रहल छला । हो फलाँ ऐना चिलां ऐना । जकरा जे मोन होइ छै क् रहल छे । ककरो कियो मोज़र दे छै । निक लोकक दुनियां ने रहल ......
हमरा ई गप्प सप्प् अनसोहाँत् लागि रहल छल ,,,,ने रहल गेल त् पूछी देलियेन बाबा जे गलत अहि ओकरा मुँह पर कहवा में कोनो हर्ज कम स् कम ओकरा अहसास त् हैतेय । आ हम अहाँ जो ने बजे छि ....... आ कियो शोषण क् रहल अहि त् अर्थ स्पस्ट अहि हम अहाँ सेहो दोषी छि । बैसी क् पीठ पाछु आलोचना करवाक बदला जो प्रतिकार करनेय शुरू क् दी सब किछु ठीक भ् सकैत अहि । हम अहाँ आँखि मुनि सब देखे छि,,, सहन करे छि ,,,,,,अहि मानसिकता में परिवर्तनक आवश्यकता अहि । समाज के किछु चंद अगुरबान सब के नाच नचोने रहैत अहि । जो हम अहाँ संगठित भ् मात्र प्रतिकार करनेय शुरू करि ,,,,,,,,,,समाज के महा अगुरबान सब के बाप स् भेंट भ् जायत ।
सब किछु सुनला क् बाद बाबा कहलेंन् ..........ठीके कहे छ् मुदा की करबहक कियो आन थोरे छै । छोरअअअअअअ न्.................!!!!!
हे ध्यान दैबै ,,,,,,,,,अपन / आन देखी क् प्रतिकार करब,,,,,,!!

आब बुझना में आबि गेल हम परतंत्र छी मानसिक रूप स् ...!!!!!!!! अहाँ के "राजनिश"

प्रेरणात्मक विचार / प्रेरणात्मक कहानी / जीवन शैली / स्वस्थ / राजनीति / वयाख्यान / व हिंदी के अनेकों लेख पढने के लिए क्लिक करें हमारा websight http://www.vicharbindu.com/

Tags: Culture