कुछ लोग पैसे को यूँ ही लुटाते
पर आज भी कोई भूख की आग में जलता है
और हम सोचते हैं कि सब ऐसे ही चलता है

हम हैं रोज रोशनी में जगमगाते , दिया जलाते
सर्दी गर्मी या बरसात ,जीवन ये बिजली से चलता है
हैं कुछ बदनसीब जिन्हें लालटेन की रौशनी भी नसीब नहीं
मिटटी के तेल की ढिबरी से उनका घर रोशन होता है
और हम सोचते है कि सब ऐसे ही चलता है

है हमे होटल और रेस्तरां में खाने की आदत
वेटर के टिप पर पचास -सौ खर्चने का जी करता है उनकी सोचो जिसके लिए दो वक़्त की रोटी ही एक बड़ी सफलता है
और एक हम सोचते हैं कि सब ऐसे ही चलता है

हम हैं जो मंदिरों पर लाखो -करोड़ों का चढ़ावा चढाते
पर किसी बेसहारा को दो रुपये देने पर जी जलता है
ज़रा ये सोचो कभी उसी दो रुपये में उसका सारा दिन चलता है
और हम सोचते हैं कि सब ऐसे ही चलता है

एक हम हैं जिसे पांच मिनट भी चलना लगता है दूभर
बस मोटर-गाड़ी पर ही अपना शरीर निकलता है
और कुछ लोगों का भविष्य ही हमेशा पैदल चलता है
और एक हम है जो सोचते हैं कि सब कुछ ऐसे ही चलता है

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