नाजाने कितने ही अरमान जला दिएं हैं हमने फुलजड़ियों की तरह 
और लोग फिर भी कहतें हैं - 
ये बिना आतिशबाजी की कैसी दिवाली मनाते हो तुम ••••

 

****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए..

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