कद की छोटी

पर बुलंद हौसलों की

छोटी सी एक कहानी हूँ मैं

 

जैसा समझा जैसा जाना

सबकी अलग अलग ज़ुबानी हूँ मैं

'दोस्तों की प्यारी'

गैरों के लिए तीखी कटारी हूँ मैं

 

आज तो हूँ पर कल ना रहूं

तो ज़रा ध्यान से सुनना मेरी ये बात

.......कि लिख रही हूँ 'ए दोस्त ' इस क़लम से

मैं आज अपने दिल के 'अनकहे' ज़ज्बात………..

 

ज़्यादा तो कुछ नहीं

बस लेना है तुमसे एक वादा

कि

करना है क्या तुम्हें मेरे जाने के बाद

 

……….. कि लिख रही हूँ 'ए दोस्त ' इस क़लम से

मैं आज अपने दिल के 'अनकहे' ज़ज्बात………..

 

करेंगे लोग मुझे याद

बड़े ही अफ़सोस के साथ

ऐसे में तुम देना

उन्हें मेरी खुशनुमा यादों की सौगात

 

……….. कि लिख रही हूँ 'ए दोस्त ' इस क़लम से

मैं आज अपने दिल के 'अनकहे' ज़ज्बात………..

 

बह चलूंगी जब मैं सबकी आँखों से

बनकर आँसुओं का सैलाब

तब तुम सजा लेना अपनी पलकों में

मुझे बनाकर एक हसीन ख्वाब

 

………..कि लिख रही हूँ 'ए दोस्त ' इस क़लम से

मैं आज अपने दिल के 'अनकहे' ज़ज्बात………..

 

चन्द कदमों में साथ छोड़ने की

जब कर रहे होंगे सब बात

तब तुम कदम से कदम मिलाकर

दे देना साथ मेरा एक आख़िरी बार 

 

………..कि लिख रही हूँ 'ए दोस्त ' इस क़लम से

मैं आज अपने दिल के 'अनकहे' ज़ज्बात………..

 

देखूँगी तुम्हें सितारों से साथ जब

कहूँगी किस्से अपनी यारी के

देखना उन सितारों को तब

 

और अगर आने लगे तुम्हें हिचकी अचानक

मार लेना नज़र एक बार तुम

उस अनंत आकाश की तरफ

देखना वहीं से चमकते हुए हाथ लहराउंगी

ओर हमेशा की तरह तुम्हारें चेहरे की मुस्कान वापिस ले आउंगी

 

………..कि लिख रही हूँ 'ए दोस्त ' इस क़लम से

मैं आज अपने दिल के 'अनकहे' ज़ज्बात………..

 

 

 

****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए..

 

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