और फिर से राज़ को राज़ ही रहने दिया है 
खत तो लिखा है और पुराने बक्से के नाम कर दिया है 

 

****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए..

Sign In to know Author