न जाने कहाँ खो गया वो दोस्त मेरा,
जो हर सुबह मुझे नींद से जगाया करता था,
चाहे रहे कितने भी मुश्किलें पर वो मुस्कुराता रहता था,
था मेरा हमराज वो उसका था मैं साया,
रोना जब भी आया कभी उसकी हँसी ने मुझे हँसाया था,
न जाने कहाँ खो गया वो दोस्त मेरा,
जो मशगूल था मेरी हर कहानी में,
जिसकी चहक से गुंजिय थी जिंदगी मेरी,
क्यूँ आज तू सामने मेरे यूँ मौन है,
इल्तजा बस इतनी है तुझसे लौटा दे मुझे मेरा वो दोस्त जो बड़ा प्यारा बड़ा हसीं था,
लौटा दो मुझे वही दोस्त जो मेरे हर हिस्से पे काबिज था,
बेचैन कर गुजरता है तेरी खामोशियों के सन्नाटे मुझे,
लौटा दो वो दोस्त मेरा जो जीवन का संगीत था,
न जाने कहाँ खो गया वो दोस्त मेरा
जो मेरे जीने का सबसे बड़ा यकीन था ।।।।
***जितेन्द्र सिंह***

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