हाँ मौन हूँ और कुछ बेचैन भी,
तेरी हर बेसब्री का एहसास है मुझे,
कर रहा तेरे हर दर्द को भी मैं महसूस हूँ,
जनता हूँ पहचानता हूँ मैं तुझे तुझसे भी शायद बेहतर,
फिर भी मैं तुझसे मिलों बैठा दूर हूँ,
हूँ इतना मजबूर और हूँ आज मैं लाचार भी,
खौफ के साये में हैं यूँ तो हम दोनों ही,
तू खौफजदा है अपने संघर्ष में पीछे छूट न जाने की,
है खौफजदा रूह मेरी तेरे टूटकर बिखर जाने की,
हाँ शायद हो सकता है कि खुदा भी आज मुझसे कुछ नाराज है,
मगर खुदा से हर सांस के बदले माँगू बस तेरी खैर ही,
मिल जाये तेरे हर दर्द मुझे बदले में
हो जहाँ की हर खुशी तेरी,
हाँ रोज रगड़ कर कोशिश करता हूँ हाथों की लकीरें खुद की बदलने की,
मगर हर बार आंसू अपनों की आँखों में देखता हूँ आज भी,
जिंदा हूँ और हूँ लेता सांस भी
आज तू है गमजदा फिर भी मैं हूँ देखता लाचार भी,
हाँ मौन हूँ और कुछ बेचैन भी ।।।

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