सब सोचते हैं कि वाह क्या जिंदगी जी रहें हैं,

हकीकत में तो जिंदगी से लड़ाई है

और मौत से अब तक भाग रहें हैं।।

सब कहते हैं कि हम बहुत हंस रहें हैं,

मगर कोई क्या जाने की ठहाकों में

अपनी बेबसी हम छुपा रहें हैं।।

दिल की चीख निकल ना जाए होंठों से -

आँसू की धारा बहने ना लगे आंखों से,

इसीलिए अकेले में चुप और भीड़ में

हम आजकल ज्यादा शोर मचाते हैं।।

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