चाँद से कुछ पुराना रिश्ता लगता है ,
हर रात वही होता है
पर हर बार नया सा लगता है ,
कभी आधा सा
कभी पूरा सा
अधूरा सा पूरा सा
मुझ जैसा ही लगता है ,
कभी अमावस कभी पूर्णिमा
हर दिन घटता बढ़ता ,
चाँद ,
हाँ, जीवन सा ही लगता है ,
चाँद से कुछ पुराना रिश्ता लगता है ,

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