मैंने जब दुनियादारी वाली किताबें पढ़ी थी
अँधेरे में लालटेन के नीचे
तब कभी लालटेन ने ये नहीं कहा था कि
तुम मेरे कृतज्ञ हो
और इसलिए तुम्हे भी मेरी तरह
दुनिया और दिमागों में आग लगानी होगी;

मैं जब अपना बचपन
बूढ़े पेड़ के नीचे गर्मियों में गुज़ार रहा था
तब कभी पेड़ ने ये नहीं कहा था कि
आवाम का रिवाज़ समझो
और इसलिए मेरा आदर करो, क्यूंकि
मैं बूढ़ा हूँ और मैंने तुम्हे शरण दिया है;

ये culture वाला गोरखधंधा
अपने पोटली में ही रहने दो दोस्त;
तुम्हे भी पता है कि
तुम्हारा hard-drive और google history
कितना cultured है

Tags: Philosophy

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