हम गिरे हज़ारो बार,
गिर गिर के उठना सीखे,
हम भटके बार-बार भटक भटक के रास्ता जाने,
जीवन की कठिनाइयो को हम यू पार करते चले,

अकेले अकेले इन राहो मे कई नये साथी मिले,
जिनसे इतना प्यार किया वो हे साथ छोड़ चले,

जिन्होने सब सिखाना था वो सब बर्बाद कर चले गये,

कैसे है वो बड़े, जिन्हे बेडपॅन का मान नही,
जो सर कलम कर सकते है मगर प्यार दिखा सकते नही,

सो बार पड़े ऐसे चक्कर मे,
आख़िर हम बाहर निकल आए है,
फिर से एक नयी कहानी हम लेकर आए है,

जहा ना कोई राजा है ना कोई रानी है,
बस पीड़ा है और उससे सहती एक नारी है.

जो है, निडर साहसी उसका मुस्कुराना ही उसका अभिमान है
जिसकी छत्र-छाया मे मेने अपनी पहचान पाई है,

वो शब्द जो सुन बड़े-बड़े है अपना सर झुकाते ,
ऐसी मा मेने तो पाई है,
अपने आँसूयो से सींचा जिसने मुझे,
ऐसी हमारी कहानी है,

साथ रहकर देनी हर ख़ुसी उन्हे है,
मेरे जीवन का उदेशय उनकी सारी चिंता मिटाना है
खुशियो भरा कल उनके लिए सजाना है,

कुछ अलग हमारी ज़िंदगानी है,
सपनो मे उड़ती ख्वाइशए है
जिन्हे पूरा करने के मेने ठानी है

जीवन का मूल पहचान
उसे जी
अपने आप की पहचान अमर कर मानुस,

जीवन का कटु सत्य है, बिना दर्द जो खुशी पाए उसका जीना क्या जीना है,
जो सौ बार गिरे-सभले आख़िर मुस्कुराए उसी का जीना बस सफल है.



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