कुछ दिनों से आसमान को घेरे रखा है बादलों ने
मानो कुछ कहना चाहते हों
आसमान से गले लगे ऐसे काले पड़े हैं
जैसे बिछुड़ना नहीं चाहते आसमान से जैसे वही उनका परिवार हो
अस्तिस्त्व अपना ख़तम होता सा प्रतीत होता है उन्हें
रो रो कर बिछुड़ रहे है आसमान से
पर वायु उन्हें समझाती है, अपने संग बहा ले जाती है
ये तो सृष्टि का नियम है
जब तुम सजल सघन होकर बरसोगे
धरती की गोद में उतरोगे
वहां तुम्हें और प्यार मिलेगा
साथ नई पहचान भी
तुम्हारी जरुरत है धरती माँ को
भूल गए तुम्हारा अस्तित्व भी तो उन्ही से है
देखो, तुम्हारे बिना वो कितनी वीरान बेजान सी लगती है
तुम्हारे जाने से वो खिल उठेगी
तुम्हे गले लगा कर खुशी से हरी भरी हो जाएगी
यह सब सुन बादल प्रसन्न हो गए
भाव विभोर हो गरज गरज कर खूब बरसे
चल पड़े अपनी नई पहचान बनाने
कुछ कर दिखाने
जहाँ भी उनकी जरूरत थी बरस पड़ते
धरती की पीड़ा को कम करते
फिर आगे बढ़ जाते
अपने अगले पड़ाव की तलाश में।



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