अनजान था जिसके एहसास से
कभी न हुआ था सामना जिससे
तुम्हे सिर्फ दूसरों के पास देखा था
चाहे वह ख़ुशी हो या गम
कभी हद से ज्यादा तो कभी कम
कभी किसी तूफ़ान की तरह उमड़ता हुआ
तो कभी रिमझिम बरसात की तरह
देखा है मैंने तुम्हे दूसरों के पास आते जाते

तब सोचता थे तुम कौन हो
कहाँ से आते हो कहाँ जाते हो
क्या अर्थ है तेरे आने जाने का
तेरे रूप एक सा होता है
चाहे ख़ुशी हो या गम

ज्यों - ज्यों जिंदगी का सफ़र बढता गया
तुम मेरे भी हमसफ़र बनते गए
बड़ते रिश्ते के कारवों के साथ –साथ
तुम और भी कारीब होते गए
संबंधों की प्रगारता के साथ
तेरी उपस्थिति दोनों परिस्थिति में होती है

चाहे रिश्ते बने ये टूटे
चाहे रिश्तों में दूरियां हो या निकटता
तुम सिर्फ याद करते ही आ जाते हो
मेरी पलकों पर बसे मेरे आंसू
अब तो तुम मेरे वोह दोस्त हो
हर दिन किसी न किसी बहाने मुझसे मिलने आते हो .

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