जन्म दिया तो सोचा नहीं....
पIला तो भी सोचा नहीं ....
पल रहा तो सोच रहा...
जीवन के कली को ....
फूल बनाया तो सोचा नहीं....
खुद सुख रहा तो सोच रहा.....
कुछ प्यार दिया तो सोचा नहीं....
थोडा त्याग किया तो सोचा नहीं....
उसने त्याग दिया तो सोच रहा...
कंधो पर अपने उसे बिठाकर....
मंजिल तक पहुचाया तो सोचा नहीं ...
आज कंधे झुकने शुरु हुए तो सोच रहा...
ऊँगली पकड़कर पूरा जीवन ...
चलना सिखाया तो सोचा नहीं...
खुद लाठी के सहारे चल रहा तो सोच रहा....
तेरे जन्म लेने पर खुश हुआ तो सोचा नहीं....
खुद घुट -घुट के मर रहा तो सोच रहा.....
मैं भी अब कुछ सोच रहा .....
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                                    - KARUNESH KISHAN                                
                            
                            
                        
                    
