परचम-ए-जंग मेरे हाथों में थमाने वालो
साथ तुम भी मेरे आओ; बातें बनाने वालो

इस बुलंदी से कभी नीचे भी उतर कर देखो
रात दिन ख्वाब तरक्की के दिखाने वालो

खुदा का शुक्र है दरिया से बच गया लेकिन
तुमने कसर न छोड़ी मेरी नाव डुबाने वालो

आग दिल की मेरे; दामन भी फूँक सकती है
दूर से देखो तमाशा ऐ मुझको मिटाने वालो

ये शहर सोया है मुद्दत से; कभी तो आओ
अपनी तक़रीरों से दुनिया को जगाने वालो

हमको मालूम हैं सब क़ायदे ज़माने के
अपनी राह संभालो मुझे राह दिखाने वालो

- शिव

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