तू जो मुझको बताता है सच ऐसा नहीं होता
तू जैसा नज़र आता है सच ऐसा नहीं होता

जुबां अटकी निगाहें चोर और अंदाज़ बहका सा
ये क्या मुझको सुनाता है सच ऐसा नहीं होता

सच की हर आवाज़ में आवाज़ है उस की
तू बस फितने उठाता है सच ऐसा नहीं होता

यकीं कर लूं तेरी बातों का मैं ये सोचता हूँ पर
तू कुछ का कुछ दिखाता है सच ऐसा नहीं होता

छुपा है दिल में जो तेरे; तेरे चेहरे से पढता हूँ
मुझी से क्यूँ छुपाता है सच ऐसा नहीं होता

फितने - शरारतें
उस - खुदा , भगवान्

-शिव

Tags: Tragedy

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