कोई तो आज कल मुझको भी दे दे
कभी दो चार पल मुझको भी दे दे

ज़माने भर का तू है ग़र खुदा तो
मेरी मुश्किल का हल मुझको भी दे दे

तेरी परछाइयों में गुमशुदा हूँ
कोई जिस्मो शक्ल मुझको भी दे दे

झूठ हैं सब तेरी दुनिया के रिश्ते
कोई मेरा असल मुझको भी दे दे

मेरी तक़दीर पे सब इख्तियार है तेरा
कभी थोडा दखल मुझको भी दे दे

-शिव

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