अगर भूख नही लगती ,
यह प्रश्‍न है मेरे लिए कुछ अटपटा ,
क्यूंकी मेरे भरें पेट में भी जाग जाती है भूख ,
जब भी मै देखूं खाना चटपटा ,

पर चलिए डालतें है नज़र ,
कैसा है भूख का हमारे देश पर असर ,
और क्या होगा परिणाम देश पर ,
यदि भूख को कर दे हम बेअसर ,

शायद कभी ऐसा हो जाए ,
दुनिया का तो नक्शा ही बदल जाए ,
मंदिरो के सामने बैठे ,
सभी भिक्षुक अब शान से ऐठे ,

चलो अब बला टली ,
अब तो ना माँगनी पड़ेगी ,
भिक्षा गली -गली ,
चाहे रहेंगे हम बेरोज़गार ,
पर बच्चे ना लगायेंगे भूख- भूख की गुहार ,

बड़े शहरों के तो कहतें लोग ,
अब dieting का नही हमे लोभ ,
हाय ! !
यह हो गया कैसा चमत्कार ,
अब पैसे बचेंगे पाँच,सौ ,हज़ार ,
.
.
.
.
. पर जहाँ है अचछाईया ,
वहाँ है खामियाँ भी ,
खाने से ही मीलती हमे शक्ति ,
तो शक्ति ये सीधे आती है जब भूख हमे है लगती ,

दुनिया के उन छप्पन रसों का स्वाद हम नही उठा पाते ,
यदि प्रभु हमारी भूख लगने की प्रवरती को ना बनातें ||

****** अर्थ से परीपूर्ण इस दुनिया में अपने जीवन का अर्थ (उद्देश्य ) तलाशतें हुए..

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