एक वक़्त था जब ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरे जोर शोर से आगे बढ़ रहा था। उस वक़्त उसके तीखे अंदाज़ और आक्रामक तेवरों से अमेरिका ही नहीं इजराइल तक भी परेशान था। ईरानी नेता आये दिन इजरायल के खिलाफ जहर उगला करते थे। कुल मिलाकर हालात इजरायल कि के खिलाफ थे। उस दौर में इजरायल कि खतरनाक ख़ुफ़िया एजेंसी "मोसाद" ने इस परेशानी से निपटने का दूसरा तरीका अपनाया, ख़ुफ़िया ऑपरेशन कर ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों का क़त्ल कर दिया गया। हालात यह हुए कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम लगभग रुक सा गया और कल तक अमेरिका के खिलाफ आग उगलने वाला ईरान आज बेबसी और बेचारगी के साथ सहयोग और दोस्ती कि बातें कर रहा है।
कुछ यही हाल हमारे मुल्क का भी हो रहा है। पिछले बहुत कम वक़्त में हमारे नौ शीर्ष वैज्ञानिकों का क़त्ल कर दिया गया और हमने इस मामले को तरजीह तक नहीं दी। सरकार को मोदी से लड़ने से फुर्सत मिले तब ही तो उसे देश के दुश्मनों का ख्याल आएगा। चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर हमारे साथ छद्म युद्ध लड़ रहा है पर हम ना जाने कौनसी दुनिया में जी रहे ही। हालात बहुत गम्भीर है यदि वक़्त रहते हम ना चेते तो चीन और पाकिस्तान के सामने झुकना हमारी मजबूरी बन जाएगा।
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