संजय लीला भंसाली की "रामलीला" पर बेन लगा दिया गया। कुछ लोगो कि भावनाएं जो आहत हो गयी हैं। उनकी धार्मिक भावनाओं को जबर्दस्त ठेस पहुंची है। बहुत दुःख कि बात है जनाब। पर मोम के दिल वाले इन लोगों कि भावनाएं तब क्यों नहीं आहत होती जब कोई गरीब फटेहाल बच्चा इनके सामने हाथ फैलाये भीख मांग रहा होता है ? जब कोई मासूम किसी कचरे के डिब्बे में से बचा हुआ खाना निकालकर अपनी भूख मिटा रहा होता है। इनकी भावनाओं को तब ठेस नहीं पहुँचती जब आठ दस साल की छोटी-छोटी बच्चियों से ये घर के झाड़ू पोंछा बर्तन कपडे जैसे सारे काम करवाते हैं, उनमें से आधे काम भी इनकी लुगाइयां कर ले तो चार दिन तक कमर पकड़ कर रोती रहे। छोटी बच्चियां सस्ते में जो मिल जाती है और ज्यादा चिक-चिक भी नहीं करती। ईश्वर के नाम पर publicity पाने की फिराक में रहने वाले निठल्लों जरा उन बेसहारा बच्चों पर भी नज़र दौड़ा लो। जरुरत हैं उन्हें हमारी तुम्हारी।
Happy Children's Day

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