ख़ुशी की मुस्कान चेहरे पर मेरे,
आई है फिर से, नैन है भरे|

फिर वही ठिठोली, फिर वही समां,
भूल गयी थी ऐसा था मेरा जहाँ|

नजमा वो दिल का फिर हुआ जवां,
था जो बंद कमरे में जहाँ था धुआं|

धुंए से निकलने को दरवाज़े खोल दिए,
आज फिर सजाये हमने देखो कितने दिये|

आशाओं की लहर, खुशियों की महर,
लायी है आज की शाम, ठहरे शायद कुछ पहर|

बीतने पर भी इसके खुद को गुदगुदा लूंगी,
याद कर के ये पल मुस्कुरा लूंगी|

कोशिश करूंगी ये पल आये फिर कभी,
तब तक, हाँ तब तक यूँही मुस्कुरा लूंगी|

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