रामनारायण लड़की देखने गए । वैसे बुआजी शुरू से ही रामनारायण भैया की शादी अपनी ननद की लड़की करवाना चाहती थी पर राम की अम्मा को एक बार इसे देखने में भी हर्ज़ ना लगा । बुआ का मुंह फूलना लाजमी था फिर भी थोड़ी मान मुनव्वल के साथ लड़की देखने चल चली । लड़की मानो चाँद का टुकड़ा, एकदम लक्ष्मी । पढ़ी लिखी और घर के काम काज में भी दक्ष और क्या चाहिए था । कुल मिलाकर गुणों का खजाना थी । उसे देख तो बुआ का मुंह और सड़ गया, ननद की लड़की का पत्ता कटना तो अब तय था । अचानक बुआ की निगाह लड़की के हाथ की ऊंगलियों पर गयी, एक ऊंगली कम थी । तपाक से बुआ ने पूछ डाला । पता चला बचपन में टेबल पंखे में आकर कट गयी थी । बस फिर क्या था अगले दो तीन दिन बुआ वाही रोना रोटी रही । अलग अलग तरह के वहम भी बैठा दिए मन में, रामनारायण का भी मन खट्टा हो गया । बस वह भी इसी उधेड़बुन में लगा रहा की करें तो क्या करे ? हाँ करें या ना ?
भारतीय राजनीति भी कुछ इसी दौर से गुजर रही है । कांग्रेस नरेन्द्र मोदी की तेज़ रफ़्तार गाडी को पटरी से उतारने का कोई मौका नहीं छोड़ रही और जब कुछ ना बन पड़ा तो जासूसी कांड के बहाने मोदी पर कीचड उछाल रही है । हो सकता है आरोप सच भी हो पर अब हमे और आपको सोचना है की हमे क्या चाहिए ? चंद छीटें लगी या पूरी तरह कीचड में सनी मैली चादर ।

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