वो बचपन की शैतानियाँ
लड़कपन की नादानियाँ
माँ के आँचल की छाँव
मेरा प्यारा सलोना गाँव
वो माँ की लोरी
वो दूध की कटोरी
वो बागों में झूले
वो खट्टे टिकोले
वो कंचे वो लूडो
वो कब्बडी वो पिट्टो
वो प्यारी सहेली
दादू की पहेली
वो बचपन अनोखा
गुजर गया जैसे हवा का कोई झोंका

अब जो है जिंदगानी
है ऐसी कहानी
ये दफ्तर ये आफत
चले जाने कब तक
दिलो के ये मेले
हैं फिर भी अकेले
ये उलझन ये हैरत
ये दुनिया बेगैरत
ये घर से जो दूरी
ज़िन्दगी ये अधूरी
ये ईर्ष्या ये द्वेष
दिलों में क्लेश
ये चाहू के जाय मेरी दुनिया फिर से बदल
बड़े याद आते हैं वो बचपन के सुकून के पल|

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