"दूर तक गगन के तले तू उड़ता चले उड़ता चले,
किस बात का पछतावा तुझे किस बात का गम,
एक तरह तेरे लिए हर ऋतु हर मौसम
शर्दी की ठंढ सताए भी तो क्या,
गर्मी की तपन जलाये भी तो क्या,
तू तो नश्वर है ,
एक दिन इस माटि में मिल जायेगा,
गर ऐसा क्यों हुआ
कौन तुझे समझाएगा "
                            
                                                            
                            
                                
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