आज फिर वो चेहरा याद आया,
यादों में छुपा ज़िंदगी का दौर याद आया.

वो एक दौर था, जब उन्हें तकने को घंटों राह तकते थे
उनके दीदार पे, पल थमा करते थे.
उनकी एक नज़र पे दिन बीत जाता था,
पर रात होते ही वो चेहरा फिर याद आता था.
करवट-करवट रात गुजर जाती थी,
बेबसी हमारी ,सवेरा साथ लाती थी.
हर दिन में उसी लम्हे का इंतज़ार था,
जिस लम्हे में उनका दीदार था.

गुजर जाती थी वो यूं करीब से,
की उसकी साँसें हवा में महका करती थी
हँसती थी वो शर्मा के,
तो जहाँ की खुशी, उन लबों में बस्ती थी.
हर पल उन्हें नज़रो में भरते थे, पर कुछ कह ना पाते थे
धड़कने बढ़ती थी और लब सी जाते थे.
दिल में दबा था जो,
वो उन्हें बताना चाहते थे
अपने प्यार का हक, उनपे जताना चाहते थे .
तभी से कोरे कागज़ों पर,
दिल के अफ़साने गडे थे
उनसे कभी कह ना पाये,
पर तन्हांईयो में शिद्दत से पड़े थे .
लिखा करते थे उन्ही के लिये करते,
और आज भी उन्ही के लिये लिखते हैं
लोग मरते हैं प्यार में,
पर हम तो उन्ही के लिये जिया करते हैं.

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