नन्ही उंगलियाँ पकड़ के मुझे चलना सिखाया,
और खुद उड़ना भूल गए.

तुतली जबान को मेरी तुमने अक्षर दिए,
और खुद बोलना भूल गए.

घोंसले को तुमने तिनके से ढका,
और आसरा लेना भूल गए,

मुझे ख्वाबों के जंजाल में फंसा कर,
तुम खुद जगना भूल गए......

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