क्यूँ भर उठता है ये दिल उसके नाम से;
ख़ुशी है, दर्द है, गुस्सा है या जलन.

खींचती चली जा रही हूँ मैं और तुम्हारी ओर;
इसे प्यार कहो या कहो मेरा पागल पन.

क्या हो तुम मेरे दिल का सबसे मीठा दर्द;
या हो उसकी सबसे खूबसूरत धड़कन.

मेरी साँसों के साथ चलने वाले;
मुझे इतना बता दो कौन हो तुम.....

कितनी अजीब है ये शांति;
कितना अजीब है ये सूनापन.

मेरे दिल की गहराइयों मे कभी उतर के देखना;
कितना भरा भरा है ये खालीपन.

कुछ भी पूरा नै नहीं तुम्हारे बिना;
खुद को हारा है फिर भी नहीं है कोई गम.

फिर भी नहीं है मेरी आँखें नम;
मुझे बस इतना बता दो कौन, कौन हो तुम…….

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