ऐशट्रे में पड़े सिगरेट के
छोटे-छोटे उन पुराने टुकड़ों को
बिना जलाये हुए ही
अपने होंटो से लगाकर
अपने घमों को सी लेती हूँ
तुम्हारे होंटो को छू लेती हूँ
तुम्हारी साँसों को पी लेती हूँ

पता नहीं लोग क्यूँ कहते हैं कि
तुम्हारी साँसें चलना बंद हो गयीं

Tags: Hindi poems, Love

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