सब रूठे हैं यहाँ मुझसे, किसी के पास दो पल नहीं|

मैं आगे बढ़ा और हाथ बढ़ा कर पुछा “कैसे हो दोस्त?”, उसने कहा “तुम बुरे हो” |

यह देख हमने भी अपने दरवाज़े बंद किये |और खुद में सिमट कर रह गए |

एक दिन कोई दरवाज़े पर खड़ा दिखा |उसने हाथ बढ़ाया और मुझसे पुछा “कैसे हो दोस्त” |

हमने भी उससे मुह फेर लिया और कह दिया “तुम बुरे हो” |

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