भाई लाइन मार रही है, गंदे तरीके से, लाइन पर ले ले न ! अरे बेटा ई 4जी के ज़माने में हमको तुम हलाल करने चला है साला | इहे दिक्कत है पब्लिक लाइफ में काम करने का ! तो करें तो क्या करें ? कैसे आँखें चार करें, अपने नये नये मुहब्बत का इजहार करें, कहीं छुप छुपा कर या किसी कोने में | साला दिल कहता है मजा ले ले, दिमाग कहता है सोच समझ कर बेटा, सालों का मेहनत पर पानी फिरने में देर नहीं लगेगा | समझ ले ई 4जी का जमाना है, बच कर रहना वरना न जाने कब उसी 4जी के स्पीड से तेरा बेरा गर्क होते देर न लगेगी |

अब ठहरे तो इंसान ही न, गबरू जवान, तो कैसे रोकें अपने आप को, अब कोई जवान मनमोहक लड़की दिख गई, उसकी खुबशुरती आँखों में बस गई, कुछ देर आँखों से आँखों का मिलान हो गया, धड़कने गीत गाने लगी, नसे तनने लगी, तो फिर दिल कैसे न लगे, इसे चुतियापा ही न कहा जायेगा । जी हाँ नए गढ़े शब्दों में कहें तो “अखंड चुतियापा” । और फिर हम “अखंड चुतियापा” करने वालों में से तो नहीं ठहरे नहीं न ! तो फिर दिल लगने से क्या रोकना । मचलने दिया अपने धमनियों को । नजरों को इनायत करने दी और लग गएँ अपनी कब्र खुद खोदने में, इतिहास में दर्ज राजाओं की तरह ।

अब खुदे भी क्यों न अपना कब्र | 4जी का जमाना जो है | देखने दिखाने की पाबंदी खत्म जो हो गयी है, अनलिमिटेड मजा का दौरा ! कभी खुद देखने या कभी दुसरे को दिखाने की चाहत हमेशा लुटिया डुबाने में जो तुली रहती है | प्यार मोहब्बत घर की चाहरदिवारीयों को लाँघ गलियों की सैर जो करने लगी है | फिर भी ये जवानी कहाँ हमें रुकने देती रे ! एक नई स्कैनडल की चाह मोहब्बत को परवान चढ़ाती फिरती है | उसकी हसीन चाह दिल की झमनियाँ को बजाती धुन निकालती फिरती है | दिल की तरप दिलजले की भातीं आहें भरती रहती है | 4जी का डर रोमांस में नये-नये कलेबर लाती रहती है | टेक्स्ट मेसेज से आगे विडियो चैट रात के वियोग को बढ़ाये देती है | फिर वही “अखंड चुतियापा” | फिर एक मिलन और फिर एक नई स्कैनडल | यही तो हम पब्लिक में रहने वालों के ज़माने का दस्तूर है | दिल से मजबूर हम खुद अपनी कब्र खोद उसमें बैठते हैं | दिल जो न कराये | “अखंड चुतीयापा” !

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