"आईए बस आपकी ही कमी थी
आग लगाईए
जख्मे-ऐ-दिल को कुरादने वाले
हाथ आगे बढ़ाईए
नाखुश इस जहा को मेरी बर्बादी से
रंगीन बनाईए
तकलीफों को बोये अरशा हुआ, अब
इसे सीच जाईए
फलक में फलाये इश्क के मेह्ताभ को
आखो से बरसईए
जज्बात थमते ही नहीं हमारे,आज
कातिल बन जाईए
आग लगाईए"

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